मैं तो सुपरमैन सलमान का फैन प्रभात से प्रशंसक तक, सलमान खान का जबरा फैन जबलपुर का प्रभात बर्मन
बॉलीवुड यात्रा में आज मैं अपने बारे में कुछ बातें आपसे साझा करना चाहता हूं मैं सलमान खान का एक बहुत बड़ा फैन हूं मैं एक साधारण परिवार से हूं मैंने अपने जीवन में सलमान खान तक पहुंचने के लिए कठिन संघर्ष किया है मुझे लगता है हर एक सलमान खान फैन का सपना होता है उनसे एक बार मिलने का लेकिन हर किसी का सलमान खान से मिलना संभव नहीं हो पाता क्योंकि सभी के जीवन की परिस्थितियां अलग अलग होती है। मेरा सपना पूरा हुआ टाइगर 3 के प्रमोशन के दौरान यशराज स्टूडियो मुंबई में मुझे सलमान खान सर से मुलाकात का अवसर प्राप्त हुआ। एक फैन को अपने चहेते मेगास्टार तक पहुंचने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है।
वैसे तो मुझे सलमान खान की फिल्म मैने प्यार किया, हम आपके है कौन और करन-अर्जुन वेहद पसंद थी। उस दौर मे आज की तरह इंटरनेट नही था कि हम यूट्यूब पर फिल्मे देखे फिल्मे देखे उस दिनो तो हम छोटा सा टेप रिकॉर्डर था जिसकी कैसेट हम खरीदते थे हम। हम इन तीन फिल्मो की पूरी स्टोरी को बार बार सुना करते थे मै तो खास कर करन- अर्जुन । इसके बाद आई तुमको ना भूल पायेंगे इसमे मुझे सलमान भाई का भाईगिरी वाला मुस्लिम किरदार बहुत पसंद आया।
दमोह जिला मध्यप्रदेश बुन्देलखण्ड का एक छोटा शहर है साल सन् 2000 मे यहाॅ क्राइम सबसे अधिक होता था इतना अधिक कि हम बच्चो मे भी अपना प्रभाव छोड़ रखा था सभी बच्चो का मानना था कि एक हत्या करो पूरे शहर मे फेमस हो जाओ। जेल जाना गौरवान्वित करता था हमे। बहुत कम बच्चे ऐसे थे जो अच्छा काम कर जीवन मे कुछ बनना चाहते थे। जिनके माता पिता अपने बच्चो को दूसरे शहर पढ़ने भेज दिया हो या बच्चो का घर से बाहर निकलना कम किया हो। बल्कि कुछ बच्चे ऐसे भी शहर मे मर्डर कर फेमस हुये जिनकी उम्र केवल 14-15 साल की रही हो। मेरी उम्र उस समय 12 साल थी मै भी बाकी बच्चो की तरह सिटी बाॅस बनने की चाह रखता था। अब मैने स्कूल से गोल मारना शुरू कर दिया था और बंक मारकर मै सलमान भाई की फिल्म देखने जाया करता था क्योकि मेरे पिता सिनेमा मे कार्यरत थे तो टिकिट का सवाल नही उठता था। मै ऐसे लड़को की संगत करने लगा जो अपराधी किस्म के है उन दिनो सिनेमाघर मे फिल्म तुमको ना भूल पायेगे चल रही थी। मेरे घर मे यदि पता चल जाता कि मैने स्कूल से गोल मारा है तो पिताश्री तो कुछ नही कहते थे मगर माॅ बड़े मोटे डण्डे से हाथ पैर तोड़ डालती थी। फिर भी अब मै अपने स्कूल मे गोल मारने के लिए मशहूर हो चुका था। परिवार और पड़ोस के लोग मुझ पर किसी भी बात का भरोसा नही करते थे।
साल 2003 की बात है मई-जून का महिना था मै और मेरी वकील दीदी फिल्मे देखने के वेहद शौकीन जो हमारे खून मे ही है। वकील दीदी मेरे बड़े पापाजी की बेटी है जो एडवोकेट है।मेरी आठवी कक्षा की परीक्षा देकर मै मुक्त हो गया और सीधा वकील दीदी के घर पहुँचा। वकील दीदी के घर नया नया सी डी प्लेयर आया था जो मुझे अपनी ओर खीचता था।किराए पर फिल्मो की सीडी मिला करती थी एक फिल्म की सी डी का चार्ज 5-10 रूपए दिन था मै हर रोज सी डी लाता और देखता। मै आश्चर्य चकित था फिल्म तेरे नाम(Tere Naam)जो अभी रिलीज भी नही हुई है जिसका ट्रेलर अभी आया टी वी पर और फिल्म की सी डी मेरे हाथ आ गई।मैने घर पहुँच कर पूरी फिल्म देखी उस वक्त मुझे नही पता था कि ये फिल्म मेरा पूरा जीवन बदलकर रख देखी ।राधे का स्टाइल राधे के बाल मुझे बेहद पसंद आये। इसी दौरान सलमान खान साहब की आलोचना भी खूब सुर्खियो मे मे थी ऐश्वर्या सलमान का ब्रेकअप, कार एक्सीडेंट मामला,विवेक का विवाद सभी न्यूज चैनल और अखबरो मे छाये थे जब मैने विवेक ओबेरॉय का बयान सुना कि सलमान भाई ने विवेक को धमकी दी तो मै गर्व से भर गया मै सलमान खान ( Salman Khan) साहब के प्रति खुद मे गौरवान्वित हो रहा था वाह क्या सुपरस्टार है असली डाॅन वर्ल्ड बाॅस।
मैने सोचा क्या मै दमोह के छोटे-मोटे गुण्डो के साथ घूम रहा हू असली बाॅस तो सलमान भाई है। और मै तो सलमान भक्त हो गया । 15 अगस्त 2003 को तेरे नाम रिलीज होने के बाद तो जैसे पूरे दमोह के युवा खुद को राधे भैया समझने लगे थे। सभी युवाओ ये राधे की हेयर स्टाइल रख ली थी। यहाॅ तक कि लड़कियो के मुंह से मै सलमान खान की तारीफ ही सुनता था। तो तेरे नाम देखने के बाद से मै मन से सलमान भाई को समर्पित हो गया।
इसी दौरान मुझे मेरे पड़ोसियो श्रीमति वर्षा राठौर ,बलवीर सिंह चौहान, और दयाशंकर सुबोध के बारे मे पता चला कि ये भी सलमान भाई के सबसे बड़े और मोहल्ले मे चर्चित सलमान फैन है लेकिन मुझे दूसरो को बताने मे एक झिझक थी कि मै सलमान भाई को बहुत चाहता हू। लेकिन फिर भी हम सभी फिल्म देखने एक साथ ग्रुप मे जाया करते थे
शुरू शुरू मे मुझे तेरे नाम वाली हेयर स्टाइल रखने मे थोड़ी झिझक थी लेकिन कुछ महीने बाद मैने रख ली।
मुझे गुंडो की संगत करना अच्छा लगने लगा राधे भैया की तरह मुझे भी काॅलर ऊपर करके चलने मे शान महसूस होने लगी मै रोज अखबार मे आई सलमान खान की न्यूज को काटकर अपने 6वी की गणित की किताबो मे एकत्रित करना शुरू कर दिया लेकिन किसी से भी इस बात का जिक्र नही किया। मेरे पिता बहराम टाॅकीज दमोह मे अकाउंटेंट पद पर कार्यरत थे सिनेमा मे फिल्मो के अखबार आया करते थे तो मेरे पिता पुराने अखबार घर की अलमारी मे बिछाने आदि दूसरे उपयोग मे लाने के लिए ले आते थे। मेरी माॅ को पुराने अखबारो को अपने संदूक मै कैद करते रखती थी क्योंकि जरूरत पर मिलते नही थे घर मे उपयोग हो जाते या पड़ोसी मांग कर ले जाते। फिर तकरीबन एक वर्ष बाद माॅ का संदूक खुला और मेरे सलमान खान न्यूज कलेक्शन की कुछ संख्या बढ़ गई।
साल 2006 मे अवैध वीडियो के कारोबार ने सिनेमाघरो की कमर तोड़ दी मेरी पिता की नौकरी छूट गई आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण हमे जबलपुर शिफ्ट होना पड़ा यहाॅ मैने एक ट्रांसपोर्ट ऐजेट के ऑफिस मे एक हजार रुपए माह पर काम करना शुरू कर दिया।
भाईगिरी के चक्कर मे मुझे 18 वर्ष की उम्र मे ही नशे की लत गई। मुझे नशे का कोई शौक नही था मै पीना भी नही जानता था लेकिन मेरे आसपास के जो लोग थे वो एक नबंर के शराबी थे और बार बार मुझे पीने के लिए उकसाया करते थे कहते दो चार बार तो मैने टाला लेकिन अब उनके शब्द मानसिक घात मारने लगे थे कि मेरी हिम्मत नही है शराब पीने की यदि मै नशा नही कर रहा तो अपने जीवन मे कुछ नही कर सकता और आवेश मे आकर मै आधा पाव की पूरी बोतल पी गया । लहराते हुये घर पहुँचा तो मेरी माॅ ने चप्पल से धोया और फिर मै लिमिट तो पीता लेकिन हर रोज पीने लगा। दो साल 2006 से 2008 तक यह क्रम जारी रहा फिर फिल्म युवराज का प्रमोशन कर रहे सलमान भाई को मैने टीवी पर देखा सलमान भाई कह रहे थे कि तेरे नाम वाली लाईफ रील है रियल नही । मेरी रियल लाइफ है बीइंग हुमन ।उनकी इस बात का मुझ पर गहरा प्रभाव पड़ा और मैने सोच लिया था कि मै सब कुछ छोड़ दूंगा लेकिन यह आसान नही था। और मैंने दृढ़ संकल्प लिया कि चाहे कुछ भी हो अब मैं ऐसा कोई भी काम नहीं करूंगा जिससे कि सलमान भाई को नीचा देखना पड़े मेरी वजह से उनका नाम खराब नहीं होना चाहिए।
सलमान खान के कहने पर आगे पढ़ाई की- साल 2009-10 की बात है जब सलमान भाई फिल्म वीर का प्रमोशन करने के लिए सी आई डी अवार्ड समारोह में आयें थें मैं टीवी पर उन्हें देख रहा था उस वक्त रात करीब 10:30 बजे होंगे सलमान भाई ने कि पढ़ना जरूरी है अगर आप एक बार फेल हो गए हों तो भी कोई बात नहीं आप दूसरी बार कोशिश करो यदि आप मेरे सच्चे फैन हों तो आगे पढ़ाई करो निराश मत होना। बह सलमान भाई कि यह बात मैंने उनका आदेश मानकर स्वीकार कर ली। मेरी मां भी चाहती थी कि मैं आगे पढूं लेकिन मैं टाल देता था क्योंकि मेरा मन नहीं लगता था। लेकिन जब सलमान भाई ने बोला तो घर में बिना किसी को कुछ बताएं मैंने प्राइवेट से कक्षा 10 वी की परीक्षा का फार्म भरा और मैंने अनाज की आढ़त में एक हजार रुपए महीने में नौकरी कर ली जब भी दुकान में मुझे 1-2 घंटे का फ्री समय मिलता मैं पढ़ाई कर लेता था और इसी तरह मैंने कक्षा 12 वी की परीक्षा दी। और फिर मैंने ग्रेजुएशन किया फिर पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जब मैं ग्रेजुएशन कर रहा था तब उन्ही दिनों मै एक रिश्तेदार की शादी में गया जहां मेरे एक रिश्तेदार ने मुझे बिना किसी वजह के ही भला बुरा कहा सिर्फ इस वजह से कि मैं सलमान खान का फैन हूं और साइकिल से शादी में पहुंचा था उन्होंने मेरी सबके सामने बहुत बेइज्जती की थी उन्होंने कहा तुम्हारी औकात इस समारोह में आने की नहीं है तुम साइकिल पर आए हों मेरे बच्चे बड़े काॅलेज में पढ़ रहे हैं हम कार से आएं हैं कीड़े-मकोड़े हों तुम….. सलमान खान। और जब उन्होंने सलमान भाई के बारे में बोला तब पहली बार मुझे सबके सामने बताना पड़ा की मैं भी एक काॅलेज स्टूडेंट हूं उस शादी समारोह में मेरे माता-पिता भी मौजूद थे और वह मुझे आश्चर्य से भरी नजरों से देख रहे थें जैसे पार्टी में मौजूद बाकी लोग भी देख रहे थे।