बिना पैसे छत्तीसगढ़ी फिल्म में बना एक्टर बना
chhattisgarhi film Abhineta Amritesh Mishra
प्रतिभा की पहचान को मोहताज नहीं होती है वह अपनी पहचान खुद वा खुद बना लेती है भारत प्रतिभावानो का देश है जिसके कोने कोने में प्रतिभा मौजूद है छत्तीसगढ़ी फिल्मों में अपनी कला के रंग बिखेरने वाले ऐसे ही एक युवा chhattisgarhi film Abhineta Amritesh Mishra है जिन्होंने छत्तीसगढ़ी फिल्म किरण के जरिए अपनी पहचान बनाई इस फिल्म ने विश्व पटल पर प्रसिद्धी पाई है थर्ड जेंडर के संघर्षों को बताती है इस फिल्म ने लगातार अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल अर्वाडो से सम्मानित हो चुकी है अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समुदाय के द्वारा इस फिल्म को काफी सराहा गया इस संदर्भ में जब फिल्म के निर्माता निर्देशक व अभिनेता अखिलेश ने बताया कि इस फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहना मिल रही है लगभग 150 राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल को सराहना मिल चुकी है।खास बात यह है कि अमृतेश मिश्रा ने इस फिल्म में अभिनय के साथ साथ निर्देशक मुंबई के सावन वर्मा को असिस्ट भी किया है और कई छत्तीसगढ़ी फिल्मों में काम भी कर रहे हैं । जिनमें भले दिनों की बात है,मोर छैंया भुईयां 2 आदि शामिल हैं।
अमृतेश मिश्रा ने बताया कि मेरी आने वाली हिन्दी फिल्मे लूजर, वेलकम टू माय पी जी, आदि है जिनमें मैं काम कर रहा है हालांकि फिल्मो में काम करने लिए कड़ी मेहनत तो करना ही होती है लेकिन सबसे जरूरी बात है इस फील्ड जाने के लिए सही जानकारी का होना कि इस लाइन में कैसे प्रवेश किया जाये। मुझे तो मुंबई जाकर फिल्मों में काम करने जुनून सवार था। लाॅकडाउन के समय फेसबुक के जरिए मेरी मित्रता प्रभात बर्मन से हुई । प्रभात भैया फिल्म लेखन में स्ट्रगल कर रहे थे तो उन्होंने मुझे फिल्म निर्माण की बारीकियों से अवगत कराया छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार गौरव द्विवेदी और बाॅलीवुड की नामचीन हस्तियों अभिलाष चौधरी, डॉ सी एच लियाओ,नीरज सिंह राजपूत , हर्ष परनामी जैसे अभिनेता से बात कराई और उन्होंने मुझे सही मार्गदर्शन दिया कि छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री बहुत व्यापक है फिर मैंने बिलासपुर में ही थिएटर ज्वाइन किया । सोशल मीडिया पर भी एक्टिंग कोर्स के वीडियो देखें पढ़ाई के साथ साथ काम के लिए भी समय निकाला और फिर मुझे फिल्म किरण में एक किरदार के लिए चुना गया । छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज निर्माता अखिलेश पाण्डेय ने मुझे इस फिल्म में काम करने का मौका दिया मैंने फिल्म किरण में एक आवारा लड़के मोनू का किरदार निभाया है। आज मैं खुद के दम पर छत्तीसगढ़ फिल्म जगत में काम कर रहा हूं।फिल्म पलटन में बतौर विलन की भूमिका में नजर आये डॉ सी एच लियाओ ने मुझे टाइम मैनेजमेंट का पढ़ाया उन्होंने मुझसे कहा सही वक्त पर हर काम को करना चाहिए तभी आप बहुत आगे जा सकते हैं। मैं फिल्म निर्माण की बारीकियों को सीख रहा हूं इसके बाद मै मुंबई जाकर बाॅलीवुड में अपना हाथ आजमाऊंगा ।
भारतीय फिल्मों की चर्चा दुनिया भर में हो रही है। पिछले दशक के दौरान, राजस्व के मामले में भारतीय फिल्म उद्योग ने तेजी से वृद्धि होती दिखी है। आज इसकी विदेशी बाजारों तक बेहतर पहुंच है। इसी क्रम में बीते साल में छत्तीसगढ़ी सिनेमा भी तेजी से विकसित हुआ है यहां के स्थानीय युवाओं को मौका अपने शहर में रहकर मिल रहा है फिल्म निर्माण में प्रतिभा रखने वाले छत्तीसगढ़ के युवाओं को अपने ही शहर में काम मिल रहा है।
क्या है छत्तीसगढ़ी सिनेमा या छालीवुड-
छत्तीसगढ़ भारत का एक राज्य है जिसकी स्थानीय भाषा में फिल्म निर्माण किया जाता है इस राज्य संपन्न अपना एक सिनेमा है छालीवुड का तात्पर्य छत्तीसगढ़ राज्य, मध्य भारत के फिल्म उद्योग या छत्तीसगढ़ी भाषा के सिनेमा से है। छालीवुड की स्थापना 1965 में बनी पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म कहि देबे संदेश से हुई थी जो एक “ब्लैक एंड व्हाइट में” फिल्म थी।
साल 2000 में, सतीश जैन द्वारा निर्मित और निर्देशित मोर छैंहा भुइंया के साथ छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग फिर जीवित कर दिया इसके तीन दिन बाद प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण की घोषणा की। यह फिल्म छालीवुड की मेगा-ब्लॉकबस्टर फिल्म थी इस फिल्म का लागत लगभग 20-30 लाख रुपये थी, वही इस फिल्म ने 2 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की। 2005 में, लता मंगेशकर ने भाखला नामक एक छत्तीसगढ़ी फिल्म के लिए एक गाना गाया जिसे संगीत निर्देशक कल्याण सेन ने संगीतबद्ध किया था। लता मंगेशकर की पहल से छत्तीसगढ़ी सिनेमा में निर्माताओं की रुचि बढ़ी गई ।
Bilaspur ki shan
Bilaspur Mein film city banaega
Ha
Proud moment
Bahut Sundar Amritesh Mishra ji
Well done amritash
Good work