बॉलीवुड के कल्चरल मार्क्सवाद पर जबलपुर में विचार मंथन
हमारे भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक ढांचे को नष्ट करना ही मार्क्सवाद का उद्देश्य रहा है संस्कारधानी में कल्चरल मार्कसिज्म अध्ययन समूह द्वारा कल्चरल मार्कसिज्म विषय पर विचार मंथन सत्र का आयोजन सत्र का पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशु पालन महाविद्यालय के सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों द्वारा भारत माता एवं मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से की गई इसके बाद डाॅ राधा मिश्रा प्रांत संयोजिका कल्चरल मार्कसिज्म अध्येता समूह महाकौशल प्रांत ने मार्क्सवाद की विचारधारा पर प्रस्तावित एवं प्रासंगिक विषय रखा।
1960 के दशक के बाद से जब भारत के सिनेमा पर डी कंपनी जैसे लुटेरों का प्रभाव था जिनको केवल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से मतलब होता था तब कुछ निर्माता या लेखन की जोड़ी ने हॉलीवुड में बनी हिट वेस्टर्न जोनर से प्रेरित फिल्मों का निर्माण किया और ये फिल्मे ट्रेड सेंटर बनी कुछ टाइम चली भी थी। इसी के जवाब में बीबीसी ने भारतीय सिनेमा का उपवास उड़ते हुए पहली बार बॉलीवुड शब्द का प्रयोग किया जो व्यंगात्मक और भारतीय सिनेमा का मजाक उड़ाने वाला शब्द था भारतीय कला और संस्कृति पर मार्क्सवाद का प्रभाव है लोकगीत फिल्मी गीत फिल्मों में रीमिक्स आदि के द्वारा अश्लीलता पड़ोसी गई है हमारे सामाजिक सांस्कृतिक ढांचे को नष्ट करना मार्क्सवाद का उद्देश्य रहा है हमें पुनः अपनी जड़ों की ओर जाना होगा और ऐसे सिनेमा का निर्माण करना होगा जिसमें भारतीय संस्कृति की सुगंध हो कुछ इसी तरह के विचार महाकौशल प्रांत में आयोजित कल्चरल मार्क्सवाद स्टडी सर्किल जबलपुर द्वारा आयोजित पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय के सभागार में रखे गए।
बॉलीवुड– कैलाश चंद्र ने कहा सांस्कृतिक मार्क्सवाद जिसे आलोचनात्मक सिद्धांत के रूप में माना जा सकता है इसके चार प्रमुख एजेंट है शैक्षणिक, मास मीडिया, बॉलीवुड, औपचारिक संस्थान। बॉलीवुड ने भारत की संस्कृति का सीधा मजाक उड़ाया है 1960 की दशक की हिट फिल्म में मुगलों का महिमा मंडल किया गया है शुद्ध हिंदी बोलने वाले पात्रों को हमेशा कमजोर और मजाक उड़ाने वाले का पात्र दिखाया जाता है बॉलीवुड ने भारतीय संस्कृति और कल को चोटिल किया है बॉलीवुड भारतीय संस्कृति का धर्म भेदक है बॉलीवुड की फिल्मों में भारत की सनातन संस्कृति को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया जाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख कैलाशचंद्र नेअपने प्रबोधन में आगे कहा कि भारत का अध्यात्म दुनिया में श्रेष्ठ जीवन पद्धति का परिचायक है। अपने प्रारंभ से ही कल्चरल मार्कसिज्म भेद, टकराव, भटकाव, संघर्ष, भ्रम खड़ा कर रहा है, भाषा, भूषा को विकृत कर रहा है। हमें कल्चरल मार्कसिज्म का षडयंत्र समझकर उससे बचने हेतु अपने एवं अपनों को शिक्षित करने की आवश्यकता है।
बुद्धिजीवियों ने कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किए – सुशील नामदेव दमोह ने बताया कि फेमिनिज्म, धर्मनिरपेक्षता, समलैंगिकता, मल्टीकल्चरिज्म, अन्य लैंगिक विषय, यौन स्वच्छंदता, शिक्षा में बदलाव, झूठे तथ्य एवं कथ्य थोपना आदि टूलकिट के माध्यम से मार्क्सवाद ने सामाजिक सांस्कृतिक व्यवस्था को बिगाड़ने का काम किया। डाॅ रामायण पटेल भोपाल ने शिक्षा में मार्क्सवाद द्वारा किये गए उलटफेर, बदलाव पर अपना विषय रखा। प्रो मनीषा शर्मा अमरकंटक ने कला और मनोरंजन पर मार्क्सवाद के प्रभाव पर जानकारी रखी। उन्होंने बताया कि लोकगीत, फिल्मी गीत, फिल्मों में रीमिक्स आदि के द्वारा अश्लीलता परोसी गई है। दीपक द्विवेदी ने पत्रकारिता एवं मीडिया में मार्क्सवाद के प्रभाव को रखा।
वेव्स समिट के जरिए भारत सरकार ने बदलाव की ओर कदम बढ़ाया – भारतीय कला संस्कृति और परंपराओं को साफ सुथरे तरीके से प्रस्तुत करने के लिए वेव्स समिट का आयोजन किया है जिसका पूरा नाम है वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट । भारत सरकार के प्रसार भारती ने खुद का ओ टीटी प्लेटफॉर्म वेव्स शुरू किया है वेव्स भव्य आयोजन के जरिए मीडिया और फिल्म जगत के अनुभवी विशेषज्ञ शामिल होंगे जों एक्टर, राइटर,डायरेक्टर,प्रोड्यूसर और मीडिया आदि को एक मंच पर लाकर एक ब्रिज का काम करेंगे ।
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