घर में एक्टिंग कैसे सीखे जाने पूरी प्रोसेस फ्री में

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घर में एक्टिंग कैसे सीखे जाने पूरी प्रोसेस फ्री में

 

Ghar me acting kaise shekhe puri process free me
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हिंदी सिनेमा जगत के मशहूर अभिनेता सी एच लियाओ के अनुसार घर में रहकर भी अभिनय के गुर सीखे जा सकतें हैं लेकिन इसके लिए आपको ईमानदारी से अभिनय का अभ्यास करना होगा आप तभी आप अभिनय के क्षेत्र में अपना करियर बना पाएंगे अपने घर में रहकर निरंतर अभ्यास करके भी अभिनेता बना जा सकता है

 

दूसरे फिल्म स्टार की भांति आप भी एक कामयाब और सफल अभिनेता बनना चाहते हैं लेकिन आर्थिक तंगी सीमित बजट और अन्य समस्याओं के चलते आप किसी बड़े फिल्म प्रशिक्षण संस्थान में एडमिशन नहीं ले पा रहे हैं बड़े संस्थानों की फीस भी बड़ी होती है ऐसे में आपको निराश होने की जरूरत नहीं है हम आपके घर बैठे एक्टिंग सीखने की पूरी प्रक्रिया इस लेख के जरिए बता रहे हैं आप ध्यान पूर्वक इसकी प्रक्रिया को समझें और सीखें।

 

 

अपनी पसंद के नाटकों और फिल्मों को ध्यान से देखें- आज के जमाने में सब कुछ डिजिटल है आप अपने मोबाइल फोन पर अपनी पसंदीदा फिल्म टीवी सीरियल या नाटकों को देखें और किसी एक सीन के एक पत्र को लेकर अभ्यास करना शुरू करें और अपनी तुलना उसे अभिनेता से करें जिसके पात्र का अभ्यास आप कर रहे हैं अपनी पसंद के किसी फिल्म के सीन का मोनोलॉग बनाएं और उन्हें याद करके अलग-अलग भावनाओं के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास करें फिल्म और नाटकों को ध्यान से देखें कि अभिनेता कैसे अभिनय करते हैं उनकी आवाज हवा और भावनाओं को समझने की कोशिश करें। अभिनेता सी एच लियाओ कहते हैं मैं फिल्मों और नाटकों को गौर से देखता हूं और सीखता हूं अपने करियर के शुरुआती दिनों में मैंने घर पर रहकर ढेर सारा अभ्यास किया है।

 

 

मशहूर फ़िल्म निर्माता निदेशक जेपी दत्ता की फिल्म पलटन में मुख्य विलेन की भूमिका निभाने वाले अभिनेता सी एच लियाओ अभिनय के प्रकार आवश्यक रूप से बताए हैं उन्होंने अभिनय कला क्षेत्र में आने वाले नए छात्रों को अभिनय के प्रकार बताना आवश्यक समझा है ताकि आप बेहतरीन हाई क्वालिटी अभिनव सीख सकें।

 

 

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अभिनय के चार प्रकार होते हैं
1.आंगिक अभिनय
2. वाचिक अभिनय
3.सात्विक अभिनय
4.आहार्य अभिनय

 

 

1.आंगिक अभिनय– आंगिक अभिनय शरीर के अंगों से व्यक्त किया जाता है यह अभिनय का एक महत्वपूर्ण प्रकार है जिसमें शरीर के विभिन्न अंगों जैसे सिर, हाथ, वक्ष, कटि, पार्श्व और चरण का उपयोग करके भावों और विचारों को व्यक्त किया जाता है शरीर के विभिन्न अंगों और चेहरे के भावों का उपयोग करके अर्थ और भावनाओं को व्यक्त करने की कला है यह अभिनय का एक अभिन्न अंग है।

 

 

2.वाचिक अभिनय – वाचिक अभिनय आवाज और भाषा से व्यक्त किया जाता है वाचिक अभिनय का अर्थ है वानिया शब्दों के माध्यम से अपने भावों और विचारों को अभिव्यक्त करना यह अभिनय का एक महत्वपूर्ण पहलू है जिसका प्रयोग नाटकों फिल्मों वेब सीरीज और विज्ञापन फिल्मों में विशेष रूप से होता है एक अभिनेता अपनी आवाज उच्चारण ले और बोलने के तरीके का उपयोग करके चरित्र की भावनाओं को दर्शकों तक पहुंचाता है वाचिक अभिनय केवल शब्दों को बोलना नहीं है बल्कि उन शब्दों को इस तरह से प्रस्तुत करना है कि वह चरित्र की आंतरिक भावनाओं और कहानी के संदेश को प्रभावित ढंग से प्रेषित करें।

 

वाचिक अभिनय के निम्नलिखित तत्व हैं
उच्चारण शब्दों को स्पष्ट और सही ढंग से बोलना ताकि दर्शकों ने आसानी से समझ सकें
आवाज का उतार चढ़ाव – भावनाओं और स्थितियों के अनुसार आवाज में परिवर्तन लाना जैसे खुशी व्यक्त करते समय ऊंची आवाज और दुख व्यक्त करते समय धीमी आवाज।

लय और गति- संवादों को उचित गति और लय में बोलना ताकि वे स्वाभाविक लगे और दर्शक उनसे जुड़े रहें।

स्वर -आवाज का भावनात्मक रंग जो यह दर्शाता है कि वक्त कैसा महसूस कर रहा है जैसे क्रोधित ,शांत या उत्साहित।

स्पष्टता – शब्दों और वाक्य को इस तरह से बोलना कि उनका अर्थ आसानी से समझ आ सके ।

शक्ति या तीव्रता – आवश्यकता अनुसार आवाज की ऊंचाई को समायोजित करना ताकि सभी दर्शक सुन सकें और संवाद का प्रभाव भी बना रहे।

विराम – संवादों के बीच उचित समय पर रुकना ताकि अर्थ स्पष्ट हो और भावनात्मक प्रभाव बढ़ सके।

वाचिक अभिनय के माध्यम से एक अभिनेता पर्दे या मंच पर अपनी उपस्थिति को और अधिक प्रभावशाली बन सकता है भले ही वह शारीरिक रूप से एक जगह स्थिर हो केवल आवाज के माध्यम से ही वह विभिन्न प्रकार की भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने में सक्षम होता है यही कारण है कि रेडियो,नाटकों और वॉइस ओवर में वाचिक अभिनय का विशेष महत्व होता है।

 

3.सात्विक अभिनय- सात्विक अभिनय कलाकार की आंतरिक भावनाओं का सहज और सच्चा प्रदर्शन है सात्विक अभिनय अभिनय का वह प्रकार है जिसमें अभिनेता अपने आंतरिक भागों और अनुभव को स्वाभाविक रूप से व्यक्त करता है यह बनावटी या बाहरी प्रदर्शन नहीं होता बल्कि कलाकार के मन की सच्ची भावनाओं का सहज प्रकटीकरण होता है सात्व का अर्थ है मन, अंतकरण या आत्मा। इसलिए सात्विक अभिनय है जो कलाकार के सच्चे मन से उत्पन्न होता है और दर्शकों तक सीधे पहुंचता है नाट्य शास्त्र में सात्विक अभिनय को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि यह दर्शकों को चरित्र की भावनाओं के साथ गहराई से जोड़ने की क्षमता रखता है जब एक अभिनेता सात्विक अभिनय करता है तो दर्शक यह महसूस करते हैं कि वह स्वयं उसे भावना का अनुभव कर रहे हैं सात्विक अभिनय मुख्य रूप से आठ सात्विक भागों पर आधारित होते हैं जो स्वाभाविक रूप से मन की विभिन्न अवस्थाओं में शरीर में उत्पन्न होते हैं यह भाव अनियंत्रित और स्वत: स्फूर्त होते हैं।

आठ सात्विक भाव निम्नलिखित हैं

  • स्तंभ- डर या आश्चर्य के कारण जड़ हो जाना।
  • श्वेद- भय , क्रोध या अत्यधिक प्रयास के कारण पसीना आना।
  • रोमांच – खुशी डर ठंड के कारण रोंगटे खड़े होना।
  • स्वरभंग- डर खुशी यादव के कारण आवाज में
  • परिवर्तन आना लड़खड़ाना।
  • बेपथु – डर ठंड या कमजोरी के कारण शरीर कांपना।
  • वैवणर्य- डर क्रोध या दुख के कारण चेहरे का रंग बदलना पीला या लाल पड़ना।
  • अश्रु- दुख खुशी या करुणा के कारण आंखों में आंसू आना।
  • प्रलय- अत्यधिक दुख या पीड़ा के कारण बेहोश हो जाना।

 

 

4.आहार्य अभिनय- आहार्य अभिनय नाट्य प्रस्तुति का एक अभिन्न अंग है जो दृश्य तत्वों के माध्यम से कहानी को कहने और पात्रों को जीवंत करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है आहार्य शब्द का अर्थ है “बाहरी” जिसे धारण किया जाए। आहार्य अभिनय का तात्पर्य बाहरी उपकरणों और परिस्थितियों से हैं जिनका उपयोग अभिनेता किसी चरित्र को मंच पर साकार करने के लिए करता है जैसे पात्र के अनुरूप वेशभूषा पहनना, अलंकार आभूषण और सजावटी वस्तुओं का उपयोग करना ,मेकअप द्वारा पत्र की विशेषताओं को उभारना ,मंच सज्जा करना ।

 

उदाहरण एक राजा की भूमिका निभाने वाले अभिनेता शाही वस्त्र मुकुट और आभूषण पहनता हैं।

  • एक गरीब भिखारी का पात्र निभाने के लिए अभिनेता फटे हुए मैले वस्त्र पहनता है।
  • एक बूढ़े की भूमि का निभाने के लिए अभिनेता अपने चेहरे पर झुर्रियां दिखाने के लिए विशेष मेकअप का उपयोग करता है ।
  • युद्ध के दृश्य में तलवार ढाल और अन्य सामग्री का उपयोग अभिनेता करता है।
  • एक ग्रामीण परिवेश को दिखाने के लिए मंच पर झोपड़ियां पेड़ और कुएं आदि बनाए जाते हैं।

 

मोनोलॉग तैयार करना- अब आपके मन में यह प्रश्न जरूर उठ रहा होगा कि मोनोलॉग क्या होता है मोनोलॉग यू एक व्यक्ति द्वारा दिया गया या लिखा हुआ एक लंबा भाषण होता है यह एक लंबा डायलॉग भी कह सकते हैं जिसमें व्यक्ति अपने विचार भावनाएं या कहानी दर्शकों के सामने व्यक्त करता है। मोनोलॉग फिल्मों और नाटकों का एक महत्वपूर्ण उपकरण है जिसका उपयोग पात्रों की गहराई में जाने,कहानी को आगे बढ़ाने या दर्शकों को महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए किया जाता है।
टीवी सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा और आश्रम 3 जैसी अनेक फिल्मो में अपना दमदार अभिनय दिखाने वाले अभिनेता नीरज सिंह राजपूत ने अभिनय के छात्रों के लिए एक मोनोलॉग तैयार किया है।

 

शीशे और मोबाइल के जरिए अभिनय प्रैक्टिस- जब आप एक मा लोग तैयार कर लेते हैं तो उसे बार-बार दोहराएं और जोर-जोर से शीशे के सामने खड़े होकर बोलने का अभ्यास करें आईने के सामने अभ्यास करने से आपको अपने चेहरे के हाव-भाव का पता चलेगा कि आप किस तरह से अभिनय कर रहे हैं आप अपने अभिनय की गलतियों को खुद पहचान कर खुद सुधार कर सकते हैं दूसरा आप अपने मोबाइल कैमरे का उपयोग करके वीडियो भी बना सकते हैं जब आप मोबाइल को सामने रखकर डायलॉग बोलेंगे तो आपको पता चलेगा कि आपका अभिनय कैसा है कितनी गलतियां है उसमें सुधार कहां-कहां करना है यह आपको वीडियो देखकर पता चल जाएगा और आप आवश्यक सुधार कर पाएंगे।

 

विशेष प्रकार के व्यक्ति को देखें- एक अच्छा अभिनेता अपनी आंखें और बुद्धि हमेशा खुली रखना है जब भी आप रास्ते में आते जाते हैं सड़क पर आते जाते हैं शादी पार्टी स्कूल कॉलेज आदि जगहों पर भी आते जाते होंगे ही कहीं पर भी किसी ऐसे व्यक्ति को देखें जिसकी चलने का तरीका सबसे अलग हो बोलने का तरीका सबसे अलग हो ऐसा लगे कि यह विशेष प्रकार का अभिनय करता सा प्रतीत हो रहा है हो सकता है रास्ते में कोई झगड़ा कर रहा हो किसी का मजाक उड़ा रहा हूं ऐसे व्यक्ति को बड़े गौर से देखें उसके हवाओं को देखें उसके तरीकों को अपने दिमाग में कैद कर लें और फिर उन घटनाओं को ध्यान में रखकर अपना मोनोलॉग तैयार करें और अभिनय का अभ्यास करें उसे नायाब तरीके को जो अपने दूसरे लोगों में देखा है उसको अपना लें वह आपको अलग-अलग अभिनय करने के काम आएगा अभिनय का अभ्यास करें आपके अभिनय की गुणवत्ता में सुधार आएगा।

 

नाटकों और उपन्यास की किताबों को पढ़ें- एक अभिनेता बनने के लिए आपको चाहिए कि आप नाटकों और उपन्यासों की किताबों को पढ़ें ताकि आपको स्क्रिप्ट की समझ हो सके इसके लिए आप चेतन भगत की हाफ गर्लफ्रेंड, टू स्टेटस, रिवैल्युएशन 2020 आदि शरत चंदचट्टोपाध्याय देवदास, मुंशी प्रेमचंद की कहानियां पढ़ सकते हैं यह अध्ययन आपको अभिनय कला विकसित करने और सीखने में लाभकारी साबित होगी ।

 

डायलॉग याद करना सीखें- आप डायलॉग को याद करना भी सीखें आपको लंबे-लंबे डायलॉग बोलना होंगे जिसके लिए एक सीमित समय मिलेगा आपको डायलॉग बोलने के लिए तैयारी करते रहना चाहिए निरंतर अभ्यास से आपकी अभिनय कला भी निखर जाएगी।

 

 

ऑडिशन कितने प्रकार के होते हैं?ऑडिशन में क्या क्या पूछा जाता है

 

 

ऑडिशन देना प्रारंभ करें- जब आप तीन माह पूरी ईमानदारी के साथ अभिनय का अभ्यास कर लेते हैं इसके बाद आपको ऑडिशन देने का प्रयास करना चाहिए ऑडिशन देने के लिए आपको कास्टिंग डायरेक्टर से संपर्क करना चाहिए कास्टिंग डायरेक्टर से संपर्क करने के लिए आप सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं बॉलीवुड की फिल्मों टीवी सीरियल साउथ की फिल्मों के कास्टिंग डायरेक्टर आपको सोशल मीडिया पर आसानी से मिल जाएंगे। आप उन्हें अपनी फोटो और प्रोफाइल भेज कर काम मांग सकते हैं अगर आप नए हैं तो उनको बताएं कि आप नए हैं आपने अभी कहीं काम नहीं किया है वह आपको उसे तरह का काम ऑफर करेंगे आप जितना ज्यादा ऑडिशन देंगे ईमानदारी के साथ उतना ज्यादा आपको काम मिलने के चांस रहेंगे इसलिए ध्यान रहे की ऑडिशन देना ना छोड़े ऑडिशन आप ऑनलाइन भी दे सकते हैं और ऑफलाइन भी दे सकते हैं दोनों तरीके मौजूद हैं।

 

नोट – आपको हमारा यह लिख कितना उपयोगी लगा कमेंट करके जरूर बताएं यदि आपको हमारा यह लेख उपयोगी लगा हो तो लाइक शेयर करना ना भूले बॉलीवुड में अपना करियर बनाने से संबंधित जानकारी को हासिल करने के लिए बने रहिए आपके अपने न्यूज़ ब्लॉक बॉलीवुड यात्रा पर जहां आपको बॉलीवुड में करियर बनाने से संबंधित सभी जानकारियां आसानी से उपलब्ध है। हमारी नई अपडेट पानी के लिए नीचे दिए गए notification बटन को allow कर ले ताकि आपको सीधे अपडेट्स मिलती रहे। यदि आप हमें किसी प्रकार का सुझाव देना चाहते हैं या हमसे संपर्क करना चाहते हैं तो आप हमें ईमेल Bollywoodyatraa@gmail.com पर भेज सकते हैं।

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